Savings Account: आज के डिजिटल युग में भी नकदी का लेनदेन एक आम बात है लेकिन आयकर विभाग की नजर हमेशा बड़े नकद लेनदेन पर रहती है। अधिकतर लोगों के मन में यह चिंता रहती है कि वे अपने सेविंग्स अकाउंट में कितनी नकदी जमा कर सकते हैं जिससे आयकर अधिकारियों का ध्यान न आकर्षित हो। यह एक वाजिब चिंता है क्योंकि अनावश्यक जांच से बचना हर ईमानदार नागरिक चाहता है।
सरकार का मुख्य उद्देश्य काले धन पर नियंत्रण रखना और टैक्स चोरी को रोकना है। इसके लिए विभिन्न नियम और सीमाएं निर्धारित की गई हैं। हालांकि ये नियम कानूनी आवश्यकताएं हैं, लेकिन आम नागरिकों को इनकी जानकारी न होने से कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए इन नियमों की स्पष्ट समझ रखना आवश्यक है।
वार्षिक नकद जमा की सीमा
आयकर नियमों के अनुसार एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान सेविंग्स अकाउंट में कुल नकद जमा या निकासी की सीमा 10 लाख रुपये है। यह सीमा केवल एक खाते के लिए नहीं बल्कि किसी व्यक्ति के सभी बैंक खातों में कुल मिलाकर है। यदि आपके पास कई बैंकों में अलग-अलग खाते हैं तो सभी में जमा की गई नकदी का कुल योग 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
इस नियम का उद्देश्य बड़े नकद लेनदेन पर नज़र रखना है। 10 लाख रुपये से अधिक की नकद जमा को हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन माना जाता है। वित्तीय संस्थानों के लिए यह अनिवार्य है कि वे ऐसे लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को दें। यह रिपोर्टिंग आयकर अधिनियम 1962 की धारा 114बी के तहत की जाती है।
दैनिक नकद जमा की शर्तें
वार्षिक सीमा के अलावा दैनिक नकद जमा के लिए भी विशेष नियम हैं। यदि आप एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक नकदी जमा करते हैं तो बैंक आपका पैन नंबर मांगेगा। यह एक अनिवार्य आवश्यकता है और इसे पूरा करना जरूरी है। यदि आपके पास पैन कार्ड नहीं है तो आपको फॉर्म 60 या 61 भरकर जमा करना होगा।
यह नियम सभी प्रकार की नकद जमा पर लागू होता है चाहे वह सेविंग्स अकाउंट हो, करंट अकाउंट हो या फिक्स्ड डिपॉजिट। बैंक इस जानकारी को अपने रिकॉर्ड में रखते हैं और आवश्यकता पड़ने पर आयकर विभाग के साथ साझा करते हैं। इसलिए बड़ी मात्रा में नकदी जमा करते समय सभी आवश्यक दस्तावेज अपने साथ रखें।
नकद प्राप्ति की दो लाख की सीमा
आयकर अधिनियम की धारा 269ST के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी एक दिन में, किसी एक लेनदेन में या किसी एक घटना से संबंधित लेनदेन में 2 लाख रुपये से अधिक नकदी प्राप्त नहीं कर सकता। यह नियम व्यापारिक और व्यक्तिगत दोनों प्रकार के लेनदेन पर लागू होता है। इस सीमा का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लग सकता है।
यह नियम विशेष रूप से बड़े व्यापारिक लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। उदाहरण के लिए यदि आप कोई सामान बेच रहे हैं और खरीदार आपको 2 लाख से अधिक नकदी देना चाहता है तो आपको इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। इसके बजाय चेक, डिमांड ड्राफ्ट या डिजिटल ट्रांसफर का उपयोग करना चाहिए।
आयकर नोटिस मिलने पर क्या करें
यदि आपको अपने नकद लेनदेन के कारण आयकर विभाग से नोटिस मिलता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले नोटिस को ध्यान से पढ़ें और समझें कि विभाग क्या जानकारी चाहता है। आमतौर पर वे आपसे नकदी के स्रोत के बारे में स्पष्टीकरण मांगते हैं। इसके लिए आपको विभिन्न दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।
नोटिस का जवाब देने के लिए बैंक स्टेटमेंट, सैलरी स्लिप, निवेश रिकॉर्ड, प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट और अन्य आय के प्रमाण एकत्रित करें। यदि नकदी किसी निवेश की बिक्री से आई है तो उसके भी दस्तावेज तैयार रखें। समय पर और पूर्ण जानकारी के साथ जवाब देने से समस्या का समाधान आसानी से हो जाता है। यदि मामला जटिल है तो किसी टैक्स सलाहकार की मदद लेना बेहतर रहता है।
वैध नकदी के स्रोत और प्रमाण
आयकर विभाग मुख्यतः उन नकद जमा को देखता है जिनका स्रोत स्पष्ट नहीं है। यदि आपकी नकदी वैध स्रोतों से आई है तो चिंता की कोई बात नहीं है। वैध स्रोतों में सैलरी, व्यापारिक आय, निवेश की बिक्री, प्रॉपर्टी की बिक्री, उपहार, वसीयत आदि शामिल हैं। इन सभी के लिए उचित दस्तावेजी प्रमाण होना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए यदि आपने कोई प्रॉपर्टी बेची है और उससे मिली राशि बैंक में जमा की है तो सेल डीड, रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट और पेमेंट रिसीप्ट जैसे दस्तावेज रखें। यदि यह किसी निवेश की मेच्योरिटी से आई राशि है तो निवेश सर्टिफिकेट और मेच्योरिटी डॉक्यूमेंट रखें। हमेशा अपने सभी वित्तीय लेनदेन का उचित रिकॉर्ड रखने की आदत डालें।
सावधानियां और सुझाव
नकद लेनदेन करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। बड़ी मात्रा में नकदी जमा करने से बचें और जितना संभव हो डिजिटल पेमेंट का उपयोग करें। यदि बड़ी राशि जमा करनी ही है तो उसे कई बार में छोटे हिस्सों में बांटकर करें। हमेशा नकदी के स्रोत का उचित प्रमाण अपने पास रखें।
किसी भी संदिग्ध लेनदेन से बचें और केवल वैध स्रोतों से आई नकदी ही बैंक में जमा करें। यदि आप व्यापारी हैं तो अपने सभी लेनदेन का उचित रिकॉर्ड रखें और बिल-वाउचर की व्यवस्था बनाएं। टैक्स रिटर्न फाइल करते समय सभी आय की सही घोषणा करें। इससे भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है और आयकर विभाग के साथ आपके संबंध भी अच्छे रहेंगे।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी या टैक्स सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। आयकर नियम जटिल होते हैं और समय-समय पर बदलते रहते हैं। किसी भी महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय से पहले योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी वित्तीय हानि के लिए जिम्मेदार नहीं है।