Bank Cheque Rules: आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था में चेक एक महत्वपूर्ण भुगतान माध्यम है जिसका उपयोग दैनिक लेन-देन में व्यापक रूप से किया जाता है। लाखों लोग रोजाना चेक के माध्यम से पैसों का लेन-देन करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग चेक उपयोग के सभी नियमों से पूरी तरह परिचित नहीं हैं। चेक के गलत उपयोग से न केवल आर्थिक नुकसान हो सकता है, बल्कि कानूनी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए चेक के सभी नियम-कानूनों की जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है।
चेक के उपयोग में एक महत्वपूर्ण नियम है चेक के पीछे साइन करना, जिसके बारे में बहुत से लोग भ्रम में रहते हैं। यह साइन कब करना चाहिए और कब नहीं, इसकी सही जानकारी न होने से कई बार समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। चेक के विभिन्न प्रकार और उनके अलग-अलग नियम होते हैं, जिन्हें समझना हर चेक उपयोगकर्ता के लिए जरूरी है।
बियरर चेक की विशेषताएं और पहचान
बियरर चेक वह चेक होता है जिस पर किसी विशिष्ट व्यक्ति का नाम नहीं लिखा होता है। इस प्रकार के चेक पर “बियरर को भुगतान करें” या “वाहक को भुगतान करें” लिखा होता है, जिसका मतलब यह है कि जो भी व्यक्ति यह चेक बैंक में ले जाएगा, उसे पैसे मिल जाएंगे। यह चेक की सबसे सरल किस्म है लेकिन इसमें सबसे अधिक जोखिम भी होता है। बियरर चेक का उपयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब तुरंत नकद पैसों की जरूरत होती है।
बियरर चेक की पहचान करना आसान है क्योंकि इस पर “बियरर” शब्द स्पष्ट रूप से लिखा होता है। कई बार चेक पर “बियरर” शब्द को काटकर इसे दूसरे प्रकार के चेक में बदल दिया जाता है। बियरर चेक को बैंक में जमा करने के लिए किसी विशेष पहचान की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन बैंक सुरक्षा की दृष्टि से कुछ नियम लागू करते हैं।
बियरर चेक के पीछे साइन करने की अनिवार्यता
बियरर चेक के पीछे साइन करना एक अनिवार्य नियम है जिसका पालन हर चेक धारक को करना पड़ता है। यह साइन चेक के पिछली तरफ दाईं ओर किया जाता है और इसे “एंडोर्समेंट” कहते हैं। बैंक कर्मचारी चेक जमा करने से पहले इस साइन की जांच करते हैं और इसके बिना चेक स्वीकार नहीं करते। यह नियम सभी बैंकों में एक समान है और इसमें कोई छूट नहीं दी जाती।
बियरर चेक के पीछे साइन करने का मुख्य कारण सुरक्षा है। जब कोई व्यक्ति चेक के पीछे साइन करता है, तो वह इस बात की पुष्टि करता है कि यह चेक उसे वैध रूप से मिला है। अगर बाद में कोई विवाद होता है, तो यह साइन एक महत्वपूर्ण सबूत का काम करता है। साइन करने के बाद बैंक की जिम्मेदारी कम हो जाती है और चेकधारक की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
बियरर चेक में निहित जोखिम और सुरक्षा चिंताएं
बियरर चेक का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह चोरी या गुम होने पर किसी भी व्यक्ति द्वारा भुनाया जा सकता है। चूंकि इस पर किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा होता, इसलिए चोर या गलत व्यक्ति भी इसे आसानी से बैंक में जमा कर सकता है। यही कारण है कि बैंक इसके पीछे साइन करने की मांग करते हैं ताकि कम से कम यह पता लग सके कि यह चेक किसने जमा किया है।
बियरर चेक खो जाने पर तुरंत बैंक को सूचना देनी चाहिए और चेक को रोकने के लिए स्टॉप पेमेंट का आवेदन देना चाहिए। लेकिन अगर चेक पहले ही भुना लिया गया हो, तो पैसे वापस पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए बियरर चेक को बहुत सावधानी से रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ही इसका उपयोग करना चाहिए।
एड्रेस प्रूफ की आवश्यकता और राशि की सीमा
जब बियरर चेक की राशि पचास हजार रुपये से अधिक होती है, तो बैंक पहचान और पते के प्रमाण की मांग करता है। यह नियम धन शोधन रोधी कानूनों के तहत बनाया गया है और सभी बैंकों में लागू है। चेक जमा करने वाले व्यक्ति को आधार कार्ड, पैन कार्ड, या अन्य सरकारी पहचान पत्र दिखाना पड़ता है। इसके साथ ही बैंक कर्मचारी चेक के पीछे किए गए साइन की तुलना पहचान पत्र के साइन से करते हैं।
कई बार बैंक कर्मचारी अतिरिक्त सुरक्षा के लिए चेकधारक से दोबारा साइन करने को कहते हैं। यह तब होता है जब पहले साइन में कोई संदेह हो या साइन स्पष्ट न हो। पचास हजार से कम राशि के चेक के लिए आमतौर पर पहचान पत्र की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन बैंक अपनी नीति के अनुसार मांग सकते हैं।
खुद के खाते से पैसे निकालने की स्थिति
जब खाताधारक अपने ही खाते से पैसे निकालने के लिए बियरर चेक का उपयोग करता है, तो चेक के पीछे साइन करने की आवश्यकता नहीं होती। इस स्थिति में बैंक खाताधारक की पहचान कर लेता है और चेक के सामने वाले हिस्से पर किए गए साइन से संतुष्ट हो जाता है। यह सुविधा केवल खाताधारक को मिलती है और वह भी अपने ही बैंक की शाखा में। अगर कोई दूसरा व्यक्ति यही चेक जमा करे, तो उसे चेक के पीछे साइन करना पड़ेगा।
खुद के खाते से पैसे निकालते समय भी बैंक कर्मचारी खाताधारक की पहचान की जांच करते हैं। वे साइन कार्ड से चेक पर किए गए साइन की तुलना करते हैं और संतुष्ट होने पर ही पैसे देते हैं। बड़ी राशि के लिए अतिरिक्त पहचान की मांग भी हो सकती है।
अन्य प्रकार के चेक और उनके नियम
पेयी चेक और आर्डर चेक के लिए पीछे साइन करने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इन पर स्पष्ट रूप से प्राप्तकर्ता का नाम लिखा होता है। आर्डर चेक में “आर्डर ऑफ” लिखकर किसी व्यक्ति का नाम दिया जाता है, जिससे केवल वही व्यक्ति या उसका अधिकृत प्रतिनिधि चेक भुना सकता है। पेयी चेक में दो समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं और यह केवल किसी बैंक खाते में ही जमा हो सकता है।
क्रॉस्ड चेक भी एक सुरक्षित विकल्प है जिसमें चेक के ऊपर दो तिरछी रेखाएं खींची जाती हैं। यह चेक नकद नहीं भुनाया जा सकता और केवल बैंक खाते में जमा होता है। इन सभी प्रकार के चेक में बियरर चेक की तुलना में कम जोखिम होता है क्योंकि इनमें प्राप्तकर्ता की पहचान स्पष्ट होती है।
सुरक्षा उपाय और सलाह
चेक का उपयोग करते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए। बियरर चेक को केवल तभी लें जब बहुत जरूरी हो और इसे सुरक्षित स्थान पर रखें। चेक खो जाने पर तुरंत बैंक को सूचना दें और स्टॉप पेमेंट का आवेदन दें। चेक के पीछे साइन करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप सही व्यक्ति हैं और चेक वैध रूप से आपका है।
अपरिचित व्यक्ति से बियरर चेक न लें और न ही अपरिचित व्यक्ति को दें। हमेशा विश्वसनीय स्रोत से चेक लें और भुगतान करने से पहले चेक की वैधता की जांच करें। चेक पर की गई गलतियों को सुधारने के लिए उचित तरीके का उपयोग करें और गलत सुधार से बचें।
चेक के पीछे साइन करने का नियम सुरक्षा की दृष्टि से बनाया गया है और इसका पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। बियरर चेक के साथ विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इसमें सबसे अधिक जोखिम होता है। सही जानकारी और सावधानी के साथ चेक का उपयोग करने से आर्थिक लेन-देन सुरक्षित और आसान हो जाता है। हमेशा याद रखें कि वित्तीय सुरक्षा हमारी अपनी जिम्मेदारी है और छोटी सी लापरवाही बड़ी समस्या बन सकती है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। बैंकिंग नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए चेक का उपयोग करने से पहले अपने बैंक से नवीनतम नियमों की जानकारी प्राप्त करें। किसी भी वित्तीय लेन-देन में सावधानी बरतें और संदेह की स्थिति में बैंक कर्मचारियों से सलाह लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।