शादी के कितने साल बाद तक पिता की प्रोपर्टी पर रहता है बेटी का अधिकार, ये है कानून daughter property rights

By Meera Sharma

Published On:

daughter property rights

daughter property rights: भारतीय समाज में आज भी यह भ्रम बना रहता है कि शादी के बाद बेटी का अपने पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रह जाता। यह सोच पूरी तरह से गलत है और कानूनी रूप से भी निराधार है। वास्तविकता यह है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बेटी को अपने पिता की संपत्ति में जन्म से ही अधिकार प्राप्त होता है। यह अधिकार शादी के बाद भी बना रहता है और किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता।

समाज में फैली इस भ्रांति के कारण कई बेटियां अपने वैध अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कानून क्या कहता है और बेटी के संपत्ति अधिकार कैसे सुरक्षित हैं।

हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 का महत्वपूर्ण बदलाव

यह भी पढ़े:
Gold Rate तगड़ा गिरा सोना, धड़ाम हुए दाम, अब 4858 रुपये सस्ता हुआ 10 ग्राम गोल्ड Gold Rate

साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किया गया जो भारतीय महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। इस संशोधन के पहले 1956 के मूल कानून में बेटी को पिता की संपत्ति में सीमित अधिकार दिए गए थे। शादी के बाद बेटी को हिंदू अविभाजित परिवार की सदस्यता से वंचित माना जाता था।

2005 के संशोधन ने इस भेदभावपूर्ण व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया। नए कानून के अनुसार बेटी को हमेशा के लिए अपने पिता की संपत्ति में बेटे के बराबर अधिकार दिया गया। यह अधिकार जन्म से मिलता है और मृत्यु तक बना रहता है। शादी या कोई अन्य कारण इस अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता।

समान अधिकार का सिद्धांत

यह भी पढ़े:
8th Pay commission आ गया बड़ा अपडेट, सैलरी-पेंशन से लेकर इतना बढ़ेगा फिटमेंट फैक्टर 8th Pay commission

वर्तमान कानूनी व्यवस्था के अनुसार बेटे और बेटी को पिता की संपत्ति में बिल्कुल समान अधिकार प्राप्त है। यह समानता केवल कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि व्यावहारिक रूप से भी लागू होती है। कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि लिंग के आधार पर संपत्ति के अधिकार में कोई भेदभाव नहीं हो सकता।

इस समानता का मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति के दो बच्चे हैं – एक बेटा और एक बेटी, तो दोनों को पिता की संपत्ति में आधा-आधा हिस्सा मिलेगा। यह बंटवारा किसी भी हालत में प्रभावित नहीं हो सकता। बेटी की शादी, तलाक या विधवा होने जैसी परिस्थितियां उसके संपत्ति अधिकार को छीन नहीं सकतीं।

पैतृक संपत्ति में जन्मसिद्ध अधिकार

यह भी पढ़े:
DA Hike July 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, महंगाई भत्ते में इतना होगा इजाफा DA Hike July

भारतीय कानून संपत्ति को दो मुख्य श्रेणियों में बांटता है – पैतृक संपत्ति और स्वअर्जित संपत्ति। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है और तीन पीढ़ियों तक अविभाजित रही हो। इस प्रकार की संपत्ति में बेटे और बेटी दोनों को जन्म से ही अधिकार प्राप्त होता है।

पैतृक संपत्ति में मिलने वाला यह अधिकार बहुत मजबूत होता है। पिता चाहकर भी अपनी बेटी को इस संपत्ति से वंचित नहीं कर सकता। यह अधिकार कानूनी रूप से संरक्षित है और न्यायालय की मदद से इसे प्राप्त किया जा सकता है। पैतृक संपत्ति में हिस्सा मांगने के लिए बेटी को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।

स्वअर्जित संपत्ति में अधिकार की स्थिति

यह भी पढ़े:
Personal Loan किसी भी बैंक से पर्सनल लोन लेने के लिए कितनी होनी चाहिए आपकी कमाई, बैंक जाने से पहले जान लें ये जरूरी बात Personal Loan

स्वअर्जित संपत्ति के मामले में कानूनी स्थिति थोड़ी अलग है। यह वह संपत्ति होती है जिसे व्यक्ति ने अपनी मेहनत और कमाई से खरीदा या बनाया है। इस प्रकार की संपत्ति पर मालिक का पूर्ण नियंत्रण होता है और वह अपनी इच्छानुसार इसका निपटान कर सकता है।

यदि पिता अपनी स्वअर्जित संपत्ति की वसीयत लिखकर मर जाता है, तो वसीयत के अनुसार ही संपत्ति का बंटवारा होगा। लेकिन यदि बिना वसीयत के मृत्यु हो जाती है, तो कानून के अनुसार बेटे और बेटी को समान अधिकार मिलता है। इस स्थिति में भी बेटी को अपना वैध हिस्सा मांगने का पूरा अधिकार है।

कानूनी सुरक्षा और न्यायिक सहायता

यह भी पढ़े:
CIBIL Score खराब सिबिल स्कोर वालों को डबल झटका, लोन के अलावा एक और मुश्किल का करना होगा सामना CIBIL Score

यदि किसी बेटी को उसके संपत्ति अधिकार से वंचित किया जा रहा है, तो वह न्यायालय की शरण ले सकती है। भारतीय न्यायपालिका महिलाओं के संपत्ति अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। कई महत्वपूर्ण निर्णयों में न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि बेटी के संपत्ति अधिकार को कोई भी सामाजिक या पारिवारिक दबाव प्रभावित नहीं कर सकता।

कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से बेटी न केवल अपना हिस्सा प्राप्त कर सकती है बल्कि उस पर मिलने वाले किराए और अन्य आय का भी हकदार होती है। न्यायालय समय-समय पर ऐसे आदेश भी जारी करते हैं जो संपत्ति के दुरुपयोग को रोकते हैं और बेटी के अधिकारों की रक्षा करते हैं।

सामाजिक बदलाव की आवश्यकता

यह भी पढ़े:
salary hike रॉकेट की स्पीड से बढ़ेगी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, वेतन में इतना होगा इजाफा salary hike

कानूनी अधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी व्यावहारिक स्तर पर कई बेटियों को अपने हक से वंचित रहना पड़ता है। इसका मुख्य कारण सामाजिक मानसिकता और जागरूकता की कमी है। परिवार और समाज को समझना होगा कि बेटी भी परिवार का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जितना बेटा।

शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। महिलाओं को भी अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर उनका उपयोग करने से हिचकना नहीं चाहिए। समाज में लैंगिक समानता लाने के लिए यह आवश्यक है कि संपत्ति के अधिकारों में भी पूर्ण समानता हो।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
Jio Recharge Plan जिओ लाया सस्ता रिचार्ज प्लान, मिलेगा 28 दिनों की वैलिडिटी एवं अन्य फायदे। Jio Recharge Plan

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी मामले में निर्णय लेने से पहले योग्य वकील से सलाह अवश्य लें। कानूनी प्रावधान समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment