Gold Rate: वर्ष 2025 सोने के बाजार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक साबित हुआ है। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक सोने की कीमतों में जो वृद्धि देखी गई है, वह पहले कभी नहीं देखी गई थी। सोने के दामों में इस तेजी ने न केवल निवेशकों को बड़ा मुनाफा दिलाया है बल्कि आम खरीदारों के लिए सोना खरीदना काफी महंगा हो गया है। साल की शुरुआत में जहां 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 76,162 रुपये में मिल रहा था, वहीं अब यह 95,382 रुपये तक पहुंच गया है।
इस अभूतपूर्व वृद्धि का मतलब यह है कि केवल पांच महीने में सोने की कीमत में 19,220 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि लगभग 25 प्रतिशत के बराबर है, जो निवेश की दृष्टि से एक शानदार रिटर्न माना जाता है। सोने में इस तरह की तेजी निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हुई है। हालांकि यह तेजी कुछ दिनों की गिरावट के साथ भी आई है, लेकिन समग्र रूप से देखा जाए तो यह साल सोने के लिए अत्यंत सकारात्मक रहा है।
चांदी में भी दिखी उल्लेखनीय तेजी
सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। साल की शुरुआत में चांदी का भाव 86,017 रुपये प्रति किलो था, जो अब बढ़कर 97,710 रुपये प्रति किलो हो गया है। इस प्रकार चांदी में 11,693 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई है, जो लगभग 13.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाती है। यह वृद्धि दिखाती है कि कीमती धातुओं के पूरे बाजार में तेजी का माहौल रहा है। चांदी की यह तेजी उन निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हुई है जो सोने के मुकाबले अधिक किफायती विकल्प तलाश रहे थे।
पिछले साल 2024 की तुलना में भी इस साल की तेजी काफी अधिक रही है। 2024 में सोने के दाम में केवल 12,810 रुपये की वृद्धि हुई थी, जबकि 2025 में यह वृद्धि इससे कहीं अधिक रही है। यह तुलना दिखाती है कि 2025 वास्तव में सोने और चांदी दोनों के लिए एक असाधारण वर्ष साबित हुआ है। इस तेजी का सबसे बड़ा फायदा उन निवेशकों को हुआ है जिन्होंने साल की शुरुआत में इन धातुओं में निवेश किया था।
22 अप्रैल का ऐतिहासिक दिन
सोने के इतिहास में 22 अप्रैल 2025 का दिन एक मील का पत्थर साबित हुआ जब सोना पहली बार एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के ऐतिहासिक स्तर को पार कर गया। यह एक ऐसा क्षण था जिसका इंतजार बाजार के विशेषज्ञ और निवेशक लंबे समय से कर रहे थे। इसी दिन एमसीएक्स पर भी सोने के दाम 99,358 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे। यह उपलब्धि भारतीय सोना बाजार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
इस ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचना कई कारकों का परिणाम था, जिसमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और निवेशकों का सुरक्षित निवेश विकल्पों की तरफ रुझान शामिल था। हालांकि इस स्तर के बाद सोने की कीमतों में कुछ सुधार भी देखा गया, लेकिन यह उपलब्धि सोने की मजबूती को दर्शाती है। यह दिन सोने के निवेशकों के लिए एक स्मरणीय दिन बन गया और इसने भविष्य में सोने की और भी ऊंची कीमतों की संभावना को बढ़ा दिया।
वर्तमान बाजार स्थिति और हाल की गिरावट
हाल के दिनों में सोने की कीमतों में कुछ गिरावट देखी गई है। 26 मई को इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अनुसार 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत में 89 रुपये की कमी आई और यह 95,382 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। इससे पहले यह 95,471 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था। यह गिरावट दिखाती है कि सोने के बाजार में निरंतर उतार-चढ़ाव चलता रहता है। हालांकि यह गिरावट अस्थायी प्रकृति की मानी जा रही है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट प्राकृतिक सुधार का हिस्सा है और लंबी अवधि में सोने का रुझान अभी भी सकारात्मक बना हुआ है। निवेशकों के लिए यह समय सोना खरीदने का अच्छा अवसर हो सकता है क्योंकि कीमतों में यह गिरावट अस्थायी मानी जा रही है। वर्तमान में सोना 92 हजार से 96 हजार रुपये के बीच एक स्थिर सीमा में कारोबार कर रहा है, जो एक स्वस्थ संकेत माना जा रहा है।
सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक
सोने और चांदी की कीमतों पर कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों का प्रभाव पड़ता है। वैश्विक मांग और आपूर्ति, मुद्रा विनिमय दरें, ब्याज दरें, सरकारी नीतियां और वैश्विक घटनाएं जैसे कारक इन कीमती धातुओं के मूल्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉलर की मजबूती या कमजोरी का सीधा प्रभाव सोने की कीमतों पर पड़ता है। जब डॉलर कमजोर होता है तो सोना महंगा हो जाता है और जब डॉलर मजबूत होता है तो सोने की कीमतें घटती हैं।
मुद्रास्फीति की दर भी सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है तो लोग अपनी संपत्ति को बचाने के लिए सोने में निवेश करते हैं। भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के समय भी सोने की मांग बढ़ जाती है क्योंकि इसे एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। केंद्रीय बैंकों की नीतियां और उनके द्वारा सोने की खरीदारी भी कीमतों को प्रभावित करती है।
निवेशकों की बढ़ती रुचि और टैरिफ वॉर का प्रभाव
इस बार सोने की कीमतों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण निवेशकों की बढ़ती रुचि रही है। टैरिफ वॉर और व्यापारिक युद्ध के कारण बाजार में जो अनिश्चितता का माहौल बना, उसने निवेशकों को सोने की तरफ आकर्षित किया। जब शेयर बाजार और अन्य निवेश विकल्पों में जोखिम बढ़ता है तो निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने को चुनते हैं। इस बार भी यही हुआ और बड़ी मात्रा में पैसा सोने में लगाया गया। संस्थागत निवेशकों और व्यक्तिगत निवेशकों दोनों ने सोने में अपना पैसा लगाया।
वैश्विक राजनीतिक स्थिति और व्यापारिक नीतियों में बदलाव ने भी सोने की मांग को बढ़ाया है। जब अर्थव्यवस्था में अस्थिरता होती है तो सोना एक सुरक्षित पनाहगाह का काम करता है। इस साल की शुरुआत में ही कई देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने से निवेशकों ने सोने को प्राथमिकता दी। यह रणनीति निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है।
जुलाई तक की भविष्यवाणी और बाजार की उम्मीदें
आने वाले समय में सोने की कीमतों को लेकर विशेषज्ञों की राय मिली-जुली है लेकिन अधिकतर विशेषज्ञ सकारात्मक रुझान की उम्मीद कर रहे हैं। फिलहाल सोना 92 हजार से 96 हजार रुपये के बीच एक स्थिर सीमा में कारोबार कर रहा है। निवेशकों की नजर टैरिफ नीतियों और व्यापारिक फैसलों पर टिकी हुई है। वर्तमान में टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है, जिससे बाजार में कुछ स्थिरता आई है। हालांकि जुलाई में जब इन नीतियों पर पुनर्विचार होगा तो फिर से अनिश्चितता का माहौल बन सकता है।
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई में सोना फिर से तेजी पकड़ सकता है और 98 हजार से 1 लाख रुपये के बीच पहुंच सकता है। यह अनुमान टैरिफ वॉर में आने वाली अनिश्चितता पर आधारित है। अगर वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक स्थिति में कोई बड़ा बदलाव होता है तो सोने की कीमतें इससे भी ऊपर जा सकती हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें और अपनी निवेश रणनीति तदनुसार बनाएं।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं है। सोने या किसी अन्य वित्तीय साधन में निवेश करने से पहले कृपया किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। निवेश में जोखिम शामिल रहता है और बाजार की स्थिति में बदलाव हो सकता है। अतीत का प्रदर्शन भविष्य के परिणामों की गारंटी नहीं देता।