लोन की किस्त नहीं भरने वाले हो जाएं सावधान, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला EMI bounce

By Meera Sharma

Published On:

EMI bounce

EMI bounce: आज के युग में लोग अपनी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तरह-तरह के ऋण लेते हैं। घर खरीदने से लेकर वाहन खरीदने तक, शिक्षा से लेकर व्यापार शुरू करने तक, हर क्षेत्र में लोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, कभी-कभी परिस्थितियों के कारण लोग अपनी ईएमआई समय पर नहीं भर पाते हैं। ऐसी स्थिति में बैंक या फाइनेंसिंग कंपनी क्या कार्रवाई कर सकती है, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह निर्णय न केवल वित्तीय संस्थानों बल्कि ऋणधारकों के अधिकारों को भी स्पष्ट करता है।

मामले का विस्तृत परिचय

इस विशेष मामले में राजेश नामक एक व्यक्ति ने 12 वर्ष पूर्व एक वाहन फाइनेंस पर खरीदा था। उसने डाउन पेमेंट के रूप में एक लाख रुपए का भुगतान किया था और शेष राशि के लिए लोन लिया था। प्रारंभिक सात महीनों तक उसने नियमित रूप से लगभग 12,500 रुपए की मासिक किस्त का भुगतान किया। हालांकि, आठवें महीने से उसने किस्त भरना बंद कर दिया। फाइनेंसिंग कंपनी ने पांच महीने तक धैर्य रखा और उसे किस्त भरने का अवसर दिया। जब राजेश ने कोई भुगतान नहीं किया, तो कंपनी ने कार को अपने कब्जे में ले लिया।

यह भी पढ़े:
LPG Gas New Rate गैस सिलेंडर हुआ सस्ता, नए रेट जारी LPG Gas New Rate

उपभोक्ता अदालत का प्रारंभिक निर्णय

इस घटना के बाद राजेश ने उपभोक्ता अदालत में फाइनेंसिंग कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई। उपभोक्ता अदालत ने राजेश के पक्ष में फैसला सुनाते हुए फाइनेंसिंग कंपनी पर दो लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया। अदालत का मानना था कि कंपनी ने नियमों का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने ग्राहक को उचित नोटिस दिए बिना वाहन को जब्त कर लिया था। उपभोक्ता अदालत की दृष्टि में यह कार्य गलत था क्योंकि ग्राहक को पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया था। यह निर्णय फाइनेंसिंग कंपनी के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बना।

सुप्रीम कोर्ट में अपील और पुनर्विचार

यह भी पढ़े:
PM Awas Yojana Gramin Survey पीएम आवास योजना के ग्रामीण फॉर्म भरना शुरू PM Awas Yojana Gramin Survey

उपभोक्ता अदालत के निर्णय से असंतुष्ट होकर फाइनेंसिंग कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गहराई से जांच करने के बाद एक संतुलित फैसला सुनाया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राजेश ने स्वयं स्वीकार किया था कि उसने केवल प्रारंभिक सात किस्तों का ही भुगतान किया था, जिससे वह एक डिफॉल्टर की श्रेणी में आता था। कोर्ट ने यह भी माना कि फाइनेंसिंग कंपनी ने उसे पांच महीने का अतिरिक्त समय दिया था, जो कि उचित था। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के निर्णय में संशोधन किया।

न्यायालय के फैसले का विश्लेषण

सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंसिंग कंपनी पर लगाए गए अधिकांश जुर्माने को रद्द कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने यह भी माना कि कंपनी को ग्राहक को उचित नोटिस देना चाहिए था। इसलिए उन्होंने नोटिस न देने के कारण कंपनी पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया। यह निर्णय दर्शाता है कि न्यायालय ने दोनों पक्षों के अधिकारों को संतुलित रूप से देखा है। एक ओर जहां डिफॉल्टर के कार्य को गलत माना गया, वहीं दूसरी ओर फाइनेंसिंग कंपनी की प्रक्रियागत त्रुटि को भी नजरअंदाज नहीं किया गया।

यह भी पढ़े:
Solar Rooftop Subsidy Yojana सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना के फॉर्म भरना शुरू Solar Rooftop Subsidy Yojana

फाइनेंसिंग कंपनियों के अधिकारों की स्पष्टता

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि कोई व्यक्ति वाहन लोन की किस्तों का भुगतान नहीं करता है, तो फाइनेंसिंग कंपनी का उस वाहन पर कब्जा करना कोई अपराध नहीं है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक लोन की पूरी राशि का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक वाहन पर वास्तविक स्वामित्व फाइनेंसिंग कंपनी का ही रहता है। यह निर्णय वित्तीय संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश है और उनके व्यावसायिक हितों की सुरक्षा करता है। साथ ही यह स्पष्ट करता है कि ऋण समझौते की शर्तों का पालन करना आवश्यक है।

ऋणधारकों के अधिकारों का संरक्षण

यह भी पढ़े:
NEET UG Category Wise Cut Off नीट यूजी परीक्षा की कट ऑफ जारी NEET UG Category Wise Cut Off

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में ऋणधारकों के अधिकारों का भी पूरा ख्याल रखा गया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि बैंक या फाइनेंसिंग कंपनियां मनमानी नहीं कर सकतीं और न ही अचानक कार्रवाई कर सकती हैं। किसी भी लोन खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले ऋणधारक को अपना पक्ष रखने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए। यह प्रावधान ऋणधारकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है और न्याय की प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी व्यक्ति बिना उचित अवसर के प्रभावित न हो।

व्यावहारिक सुझाव और सीख

इस पूरे मामले से कई महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं। सबसे पहले, ऋणधारकों को समझना चाहिए कि लोन लेना एक गंभीर वित्तीय जिम्मेदारी है और नियमित भुगतान अत्यंत आवश्यक है। यदि कोई वित्तीय कठिनाई आती है, तो तुरंत बैंक या फाइनेंसिंग कंपनी से संपर्क करना चाहिए। दूसरी ओर, वित्तीय संस्थानों को भी अपनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए। उन्हें ग्राहकों को उचित नोटिस देना चाहिए और कार्रवाई से पहले पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिए। यह दोनों पक्षों के लिए लाभकारी है और विवादों को कम करता है।

यह भी पढ़े:
Free Silai Machine Yojana फ्री सिलाई मशीन योजना के फॉर्म भरना शुरू Free Silai Machine Yojana

Disclaimer

यह लेख कानूनी जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। लोन संबंधी किसी भी समस्या के लिए उचित कानूनी सलाह लेना आवश्यक है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपने व्यक्तिगत मामलों के लिए योग्य वकील या वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।

यह भी पढ़े:
LPG Gas New Rate सभी राज्यों के गैस सिलेंडर के नए रेट जारी LPG Gas New Rate

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment